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Bhoole-Bisare Chitra Verma, Bhagwaticharan

By: Verma, BhagwaticharanLanguage: Hin Publication details: New Delhi Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd. 2021 Edition: 7th EditionDescription: 496p. Soft/Paper BoundISBN: 9788126717071Subject(s): Hindi -- Hindi NovelDDC classification: H891.433 Summary: भूले बिसरे चित्र एक महान् कृति, भारतीय समाज और परिवार के विकास की विविध दिशाओं और रूपों का एक विराट एवं प्रभावोत्पादक चित्र। – डॉ. एस. एन. गणेशन निकट अतीत के चित्रों का एक एलबम – वह अतीत जिसे वर्तमान पीढ़ी को न भूलना चाहिए और न जिससे विमुख ही होना चाहिए, क्योंकि उसी में हमारे नए जीवन का बीजारोपण हुआ था। परिवार के चित्रों के एलबम के विपरीत इस एलबम के चित्र धुँधले नहीं पड़े हैं, क्योंकि कैमरा एक ही रहा है। लैंसों का प्रयोग इस कुशलता से किया गया है कि चित्र बिल्कुल साफ और हूबहू अंकित हुए हैं, दूरी ने उन्हें धुँधला नहीं किया है, भावातिरेक या दुःख ने विकृत नहीं किया है। – जगदीशचन्द्र माथुर
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Item type Home library Collection Call number Materials specified Vol info Copy number Status Notes Date due Barcode
Books Books HPSMs Ganpat Parsekar College of Education, Harmal
HPS-Hindi Novels
HPS-HINDI H891.433 VAR/BHU (Browse shelf(Opens below)) - 1 Available 8 Shelf HPS-3762

भूले बिसरे चित्र

एक महान् कृति, भारतीय समाज और परिवार के विकास की विविध दिशाओं और रूपों का एक विराट एवं प्रभावोत्पादक चित्र। – डॉ. एस. एन. गणेशन निकट अतीत के चित्रों का एक एलबम – वह अतीत जिसे वर्तमान पीढ़ी को न भूलना चाहिए और न जिससे विमुख ही होना चाहिए, क्योंकि उसी में हमारे नए जीवन का बीजारोपण हुआ था। परिवार के चित्रों के एलबम के विपरीत इस एलबम के चित्र धुँधले नहीं पड़े हैं, क्योंकि कैमरा एक ही रहा है। लैंसों का प्रयोग इस कुशलता से किया गया है कि चित्र बिल्कुल साफ और हूबहू अंकित हुए हैं, दूरी ने उन्हें धुँधला नहीं किया है, भावातिरेक या दुःख ने विकृत नहीं किया है।

– जगदीशचन्द्र माथुर

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