Rekha Verma, Bhagwati Charan

By: Verma, Bhagwati CharanLanguage: Hin Publication details: New Delhi Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd. 2022 Edition: 8th EditionDescription: 240p. Soft/Paper BoundISBN: 9788129716777Subject(s): Hindi -- Hindi NovelDDC classification: H891.433 Online resources: Click here to access online
Contents:
व्यक्ति के गुह्यतम मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करूण कहानी कही है जो अपने अंतर के संघर्षो में दुनिया के सब सहारे गँवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका। शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक और यदि उसका भावुक मन जिम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमजोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर बचना चाहता है। वस्तुतः रेखा जैसे युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है।
Summary: पाप और पुण्य जैसे सवाल पर अमर कृति चित्रलेखा लिख पूरी दुनिया में मशहूर महान उपन्यासकार साल 1903 में आज के ही दिन पैदा हुए थे. मानवीय संबंधों पर उनकी ग...
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HPS-Hindi Novels
HPS-HINDI H891.433 VER/REK (Browse shelf(Opens below)) - 1 Available 8 Shelf HPS-3773
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H891.433 SHR/HAM Hamara Shahar Us Baras H891.433 SUG/MOH Mohak Hindi Kahaniya Sangrah (Part-1) H891.433 VAR/BHU Bhoole-Bisare Chitra H891.433 VER/REK Rekha M891.463 SAW/MRU Mrutyunjay

व्यक्ति के गुह्यतम मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करूण कहानी कही है जो अपने अंतर के संघर्षो में दुनिया के सब सहारे गँवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका।
शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक और यदि उसका भावुक मन जिम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमजोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर बचना चाहता है।
वस्तुतः रेखा जैसे युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है।



पाप और पुण्य जैसे सवाल पर अमर कृति चित्रलेखा लिख पूरी दुनिया में मशहूर महान उपन्यासकार साल 1903 में आज के ही दिन पैदा हुए थे. मानवीय संबंधों पर उनकी ग...

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