Godan (Record no. 1092572)
[ view plain ]
000 -LEADER | |
---|---|
fixed length control field | 09394nam a22002057a 4500 |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
ISBN | 9789383144983 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | Hin |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H891.433 |
Item number | PRE/GOD |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Premchand, Munchi |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Godan |
250 ## - EDITION STATEMENT | |
Edition statement | 1st Edition |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication | Kanpur |
Name of publisher | Shubham Publication |
Year of publication | 2021 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Number of Pages | 304p. |
Other physical details | Hard Bound |
505 ## - FORMATTED CONTENTS NOTE | |
Formatted contents note | होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी दे कर अपनी स्त्री धनिया से कहा - गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। जरा मेरी लाठी दे दे। धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथ कर आई थी। बोली - अरे, कुछ रस-पानी तो कर लो। ऐसी जल्दी क्या है? होरी ने अपने झुर्रियों से भरे हुए माथे को सिकोड़ कर कहा - तुझे रस-पानी की पड़ी है, मुझे यह चिंता है कि अबेर हो गई तो मालिक से भेंट न होगी। असनान-पूजा करने लगेंगे, तो घंटों बैठे बीत जायगा। 'इसी से तो कहती हूँ, कुछ जलपान कर लो और आज न जाओगे तो कौन हरज होगा! अभी तो परसों गए थे।'<br/><br/>'तू जो बात नहीं समझती, उसमें टाँग क्यों अड़ाती है भाई! मेरी लाठी दे दे और अपना काम देख। यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि अब तक जान बची हुई है, नहीं कहीं पता न लगता कि किधर गए। गाँव में इतने आदमी तो हैं, किस पर बेदखली नहीं आई, किस पर कुड़की नहीं आई। जब दूसरे के पाँवों-तले अपनी गर्दन दबी हुई है, तो उन पाँवों को सहलाने में ही कुसल है।'<br/><br/>धनिया इतनी व्यवहार-कुशल न थी। उसका विचार था कि हमने जमींदार के खेत जोते हैं, तो वह अपना लगान ही तो लेगा। उसकी खुशामद क्यों करें, उसके तलवे क्यों सहलाएँ। यद्यपि अपने विवाहित जीवन के इन बीस बरसों में उसे अच्छी तरह अनुभव हो गया था कि चाहे कितनी ही कतर-ब्योंत करो, कितना ही पेट-तन काटो, चाहे एक-एक कौड़ी को दाँत से पकड़ो; मगर लगान का बेबाक होना मुश्किल है। फिर भी वह हार न मानती थी, और इस विषय पर स्त्री-पुरुष में आए दिन संग्राम छिड़ा रहता था। उसकी छ: संतानों में अब केवल तीन जिंदा हैं, एक लड़का गोबर कोई सोलह साल का, और दो लड़कियाँ सोना और रूपा, बारह और आठ साल की। तीन लड़के बचपन ही में मर गए। उसका मन आज भी कहता था, अगर उनकी दवा-दवाई होती तो वे बच जाते; पर वह एक धेले की दवा भी न मँगवा सकी थी। उसकी ही उम्र अभी क्या थी। छत्तीसवाँ ही साल तो था; पर सारे बाल पक गए थे, चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ गई थीं। सारी देह ढल गई थी, वह सुंदर गेहुँआँ रंग सँवला गया था, और आँखों से भी कम सूझने लगा था। पेट की चिंता ही के कारण तो। कभी तो जीवन का सुख न मिला। इस चिरस्थायी जीर्णावस्था ने उसके आत्मसम्मान को उदासीनता का रूप दे दिया था। जिस गृहस्थी में पेट की रोटियाँ भी न मिलें, उसके लिए इतनी खुशामद क्यों? इस परिस्थिति से उसका मन बराबर विद्रोह किया करता था, और दो-चार घुड़कियाँ खा लेने पर ही उसे यथार्थ का ज्ञान होता था।<br/><br/>उसने परास्त हो कर होरी की लाठी, मिरजई, जूते, पगड़ी और तमाखू का बटुआ ला कर सामने पटक दिए।<br/>होरी ने उसकी ओर आँखें तरेर कर कहा - क्या ससुराल जाना है, जो पाँचों पोसाक लाई है? ससुराल में भी तो कोई जवान साली-सलहज नहीं बैठी है, जिसे जा कर दिखाऊँ।<br/>होरी के गहरे साँवले, पिचके हुए चेहरे पर मुस्कराहट की मृदुता झलक पड़ी। धनिया ने लजाते हुए कहा - ऐसे ही बड़े सजीले जवान हो कि साली-सलहजें तुम्हें देख कर रीझ जाएँगी।<br/>होरी ने फटी हुई मिरजई को बड़ी सावधानी से तह करके खाट पर रखते हुए कहा - तो क्या तू समझती है, मैं बूढ़ा हो गया? अभी तो चालीस भी नहीं हुए। मर्द साठे पर पाठे होते हैं। |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | प्रेमचन्द को हिंदी का महान साहित्यकार माना जाता है. उनके लिखे उपन्यास और कहानियों को पूरी दुनिया में पढ़ा जाता है. गोदान प्रेमचंद द्वारा लिखित महान कृति है. प्रेमचंद की कहानियां और रचनाएं साधारण हिंदी में और बोलचाल की भाषा में लिखी गई है. यही वजह है कि कोई भी इनको आसानी से समझ सकता है. उनकी कहानियों और उपन्यासों के किरदार भी साधारण लोग हैं. उनका उपन्यास गोदान भी एक भारतीय किसान परिवार की कहानी है जो रूढ़िवादी समाज की परम्पराओं के कारण दुख भोगता है. गोदान को प्रेमचंद की सबसे महान रचनाओं में से एक माना जाता है. यहां नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप प्रेमचंद लिखित गोदान के पीडीएफ वर्जन को हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं.<br/>About Godan in hindi pdf<br/>Premchand is considered to be the great writer of Hindi. His novels and stories are read in the whole world. Premchand's great work Godan written in simple Hindi and colloquial language. This is the reason why anyone can understand them easily. The characters of his stories and novels are also ordinary people. His novel Gaudan is also the story of an Indian peasant family who suffers from the traditions of Orthodox society. Godan is considered one of Premchand's greatest works. You can download the PDF version of Premchand written in Hindi by clicking on the link below. |
546 ## - LANGUAGE NOTE | |
Language note | Hindi |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical Term | Hindi |
Form subdivision | Hindi Novel |
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | https://www.freehindiebooks.com/2017/06/download-godan-by-premchand-in-hindi-pdf.html |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Shelving location | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Serial Enumeration / Volume No. | Full call number | Accession Number | Copy number | Price effective from | Koha item type | Public note |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
HPS-HINDI | HPSMs Ganpat Parsekar College of Education, Harmal | HPSMs Ganpat Parsekar College of Education, Harmal | HPS-Hindi Novels | 25.01.2024 | Donated books by Shubham Publication | 795.00 | - | H891.433 PRE/GOD | HPS-C4725 | 1 | 27.01.2024 | Books | 8 Shelf |